जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के पास गोटापोरा गांव में कुछ दिव्यांग कारीगरों का हुनर काबिले तारीफ है। ये कलाकार हाथ से कश्मीर के खास सामान बनाते हैं। वे उनमें बारीक कलाकृतियां और पैटर्न उकेरते हैं। इस ग्रुप को "स्पेशल हैंड्स ऑफ कश्मीर" भी कहा जाता है। पैदाइशी प्रतिभा उन्हें न सिर्फ आजीविका, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी दिलाती है।
बडगाम जिले की 70 फीसदी आबादी सोजनी बुनने के काम में जुटी है। कश्मीर की ये कला 600 साल पुरानी है, जिसे ये कारीगर आबाद रखे हुए हैं। इन कारीगरों के हुनर की तारीफ देश-विदेश में होती है। इस पारंपरिक कला की बदौलत उनकी आजीविका भी अच्छी चल रही है।
हालांकि अब बाजार में सस्ते उत्पादों की भरमार है। दूसरी ओर युवाओं में बुनाई को पेशा बनाने में रुचि नहीं है। इन वजहों से कश्मीर की खास सोजनी की कला का वजूद खतरे में पड़ता दिख रहा है।